Saturday, 4 June 2011

किस्सा सौ चुम्मो का




एक पति ने अपने पत्नि को खत लिखा

प्रियतमा
इस बार मै तुम्हें तन्खवाह नही मिलने के कारण
रुपये के बदले  सौ चुम्मे भेज रहा हू

कुछ दिन बाद पत्नि ने पति को खत लिखा

प्रियबर
चिन्टु के स्कूल कि फ़ीस देने गय़ी
मास्टर को पन्द्रह चुम्मा देना प्रडा
पार्चुन के दुकान से सामान लेने गई
सात चुम्मे वहा खर्च हो गये
सब्जी वाला भी महीने भर की सब्जी
के बदले चार चुम्मा लिया
अक्सर रात को मकान मालिक आता है
और किराये के बद्ले दो चुम्मे ले के जाता है
दुध वाला भी सुबह शाम दुध देता है
और बद्ले मॆ महीने का तीन चुम्मे लेता है
अभी चिन्ता की कोई बात नही है
महीने मे आठ दिन बाकी है
और बीस चुम्मे शेष है

Thursday, 19 May 2011

अखबारों की हेडलाइन की कतरनी कविता


गॉधी शताब्दी का शुभारम्भ,
दो व्यक्तियों ने जमकर लाठी चलाई। 


मद्य निषेध दिवस धूम-धाम से मना,
जहरीली शराब पीने से सात व्यक्तियों की मौत।


शिक्षा में आशातीत प्रगति, 
छात्र के झोले से बम बरामद।


परिवार नियोजन सप्ताह संपन्न,
एक महिला ने एक साथ चार बच्चों को जन्म दिया।


सूबे में सुरक्षा व्यवस्था चुस्त,
डी.एस.पी. के घर पर बम से हमला।


देश में खाद्यान की कोई नहीं-मंत्री,
आंध्रप्रदेश में सात दिन से भुखे किसान ने दम तोड़ा।


खाद्यान्न मुद्रा स्फीति में भारी गिरावट,
प्याज के दामों में पॉच गुना वृद्धि।


वेलेन्टाइन डे पे खुब लुटाया प्यार का तोहफा।
एक लड़के ने अपनी प्रेमिका के चेहरे पर तेजाब फेंका। 
हर बच्चे को पोलियों ड्राप्स का दो बुंद पिलाना है पोलियों दुर भगाना है। 


लगातार पॉच वर्षो से पोलियो ड्राप्स पीने वाले बच्चे पोलियो ग्रसित हुए।

Sunday, 8 May 2011

बिहार और उसके पुनरूत्थान के उपाय


यदि ऐसा कोई स्थान है जहॉ संसार के प्रत्येक जीव को मोक्ष प्राप्त करने के लिए आना पड़ेगा, जहॉ मनुष्य जाति में विश्वास, क्षमा, आध्यात्म, दया, परोपकार, सेवा जैसे सद्गुणों का सर्वाधिक विकास हुआ है तो मैं निश्चित होकर कह सकता हॅू कि वह हमारी पावन देव भूमि बिहार ही है।  


बिहार आदि काल से ही धरती के महानतम विचारवान पुरूषों को विकशित किया है। हमारी बिहार के प्रति विश्व का ़ऋण अपरिमित है। चाहे विज्ञान का क्षेत्र हो या गणित का, चिकित्सा का क्षेत्र हो या साहित्य का आध्यात्म का क्षेत्र हो या दर्शन का, शांति का संदेश हो या शिक्षा का इन सब का जन्म बिहार में ही हुआ।  


वास्तव में बिहार की उन्नति इतनी अधिक थी कि समूचे विश्व से लोग यहॉ ज्ञान और समृद्धि पाने की अभिलाषा से उपस्थित होते थे। जब मैं बिहार की गौरवमयी इतिहास की पर्यायलोचना करता हॅू तब मुझे सारे संसार में कहीं भी ऐसा जगह दिखाई नहीं देता, जिसने बिहार के समान ज्ञान, शांित, दया, प्रेम, अहिंसा, परोपकार, विश्वास, क्षमा आदि का पाठ समुचे विश्व को पढ़ाया।  


बिहार के पुनरूत्थान के लिए हमें निम्नांकित बिन्दुओं पर विचार करना होगा


अतीत में झांकना 


अतीत से ही भविष्य का निर्माण होता है। अतः हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का बिहार दिवस के माध्यम से जनमानस को अतीत का गौरवमयी इतिहास बताना हमारे अंदर नया जोश पैदा करेगा। हमारे पूर्वज महान थें हमें पहले यह समझना होगा कि उन्हीं महान आत्माओं का खुन हमारे रगों में भी बह रहा है। हमें हमारी शक्ति को पहचानना होगा, अपने मन से हीन भावना को निकाल बाहर फेंकना होगा, उसके बाद पहले जो था उससे भी महान् बिहार का पुनर्गठन होगा। हमने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में आर्यभट्ट के द्वारा, गणित के क्षेत्र में बशिष्ठ नारायाण सिंह के द्वारा, काब्य के क्षेत्र में कालीदास, रामधारी सिंह दिनकर आदि के द्वारा, शांति के क्षेत्र में चक्रवर्ती सम्राट अशोक के द्वारा, ज्ञान के क्षेत्र में नालन्दा एवं तक्षशिला विश्वविधालय के द्वारा, दया और धर्म के क्षेत्र में महावीर और बुद्ध के द्वारा, राजनीति के क्षेत्र में चाणक्य के द्वारा यह सिद्ध कर दिया है कि हम अनपढ़, गंवार, मुर्ख नहीं थे और नहीं है। हमने सारे देश एवं समस्त मानव जाति की भलाई के लिए काम किया है। हम कमजोर नहीं है। हमें अपनी सुप्त हो गई शक्तियों को फिर से जगाना है।  


अपने आपको पहचानना 


हे बिहार की सबसे बड़ी ताकत श्रमजीवीगण! तुम्हारे अनवरत निन्दित परिश्रम के फलस्वरूप ही एक के बाद एक बना फिजी, मॉरीसस, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात आदि और तुम्हारे बारे में चिन्ता करने की परवाह भी कौन करता है। जहॉ अपार सहिष्णुता, अनन्त प्रीति तथा निर्भीक कार्यशीलता के साथ हमारे गरीब दिन-रात , घर-बाहर चुपचाप अपना कर्तव्य किए जा रहे है। दूसरे मुल्कों तथा अपने देश के दूसरे राज्यों को लगातार अपने खुन से सींचते हुए समृद्ध बनाने में लगे हुए हैं वहीं बदले में तुम्हें अपमान मिलता है, तुम्हारे लिए कविता बनाई जाती है ’’एक बिहारी सौ बीमारी’’। तुम धन्य हो बिहार के पद दलित श्रमजीवी। मैं तुम्हें नमन करता हॅूं। तुम्हें अपने आपमें स्वाभिमान लाना होगा। तुम सोचों अगर देश के हरेक कोने से बिहारी वापस लौट जाए तो विकसित होनेका गर्व करने वाले राज्यों का विकास दर उल्टी दिशा की ओर जाने लगेंगा। सारे कल-कारखानों की हालत बदतर हो जाएगी। फिर भी तुम्हारी उपेक्षा। तुम सोच लो अब हम ये भेद-भाव, अपने साथ घटित ये बर्ताव बर्दाश्त नहीं करेंगे और जिस दिन से तुमने ये सोचना शुरू कर दिया उस दिन से तुम्हारे विकास की गाड़ी पुनः चल पड़ेगी। 


अपने कर्तव्य का पालन करना  


जनसाधारण की उपेक्षा ही हमारी अवनति का मुख्य कारण है। जबतक बिहार के साधारण से साधारण लोग भली-भांति शिक्षित नहीं होंगे, जबतक उच्च वर्ग के लोग उनका ठीक से ख्याल नहीं रखेंगे तबतक चाहे कितनी ही राजनीतिक आन्दोलन क्यों न हो, कुछ नहीं होने वाला। बिहार को अगर फिर से उत्थान की राह पर लाना है तो सबसे पहले हमें अनाथ, दरिद्र, निरक्षर, किसान, मजदूर, स्त्री के हित के लिए आगे बढ़कर काम करना होगा। हमें हमारे कर्तव्यों का पालन करना होगा। अपने राज्य के विकास के लिए एक विधार्थी का कर्तव्य है मन लगाकर पढ़ना। एक मजदूर का कर्तव्य है पूरी तन्मयता के साथ काम को करना। एक किसान का कर्तव्य है हाड़-तोड़ मेहनत कर लोगों तक अनाज पहॅूचाना। एक अधिकारी का कर्तव्य है लोगों की सेवा करना। और जिस दिन बिहारवासी अपने कर्तव्य का पालन इमानदारी पूर्वक करना शुरू कर देंगे। उसी दिन से बिहार के पुनः उत्थान की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।  


शिक्षा  


समाज सुधार के लिए सर्वप्रथम जरूरी है लोगों को शिक्षित करना। उनके चारो ओर दुनियांॅ में क्या हो रहा है, इस संबंध में उनकी ऑखे खोल देना। इसके बाद अपना उद्धार स्वयं कर लेगे। हर एक जाति, हर एक इंसान को अपना उद्धार स्वयं ही करना होगा। उन्हें बस इतनी ही सहायता की आवश्यकता हैं हमारा कर्तवय है उनके दिमाग में कुछ चिन्तनधारा प्रवाहित करना बाकी वे स्वयं कर लेंगे। अगर बिहारवासियों को आत्म-निर्भर होने की शिक्षा न दी जाय तो भारत वर्ष का समुचा बजट भी पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए हमें इन्हें आत्म-निर्भर बनाना होगा। इन्हें बचपन से ही ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे कि बड़े होकर वो आत्मनिर्भर बन सकें। 


नारी शक्ति का समुचित उपयोग


सबसे पहले हमें औरतों को घर की चहारदीवारी के कैद से मुक्त करना होगा। उन्हें भी विकास में सहभागी बनाना होगा। क्योंकि आधी आबादी को छोड़कर हम विकास की कल्पना भी नहीं कर सकते। इतिहास गवाह है कि जब-जब मनुष्य संकट में घिरा है तब-तब नारी अपनी शक्ति से हमें उससे छुटकारा दिलाया है, कभी वह दुर्गा के रूप में सामने आई ह,ै तो कभी झॉसी की रानी लक्ष्मी बाई के रूप में। हमें याद करना होगा कि विधोतमा एक नारी ही थी, जिसने परम ज्ञानी शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में मात दिया था। हमें औरतों का सहयोग समाज के हरेक कार्यों में लेना होगा तभी हम सही मायने में विकास कर पाएंगे। जरूरत है नारी के मन में रच-बस गए संकोच को निकाल बाहर करने का। उसको शत-प्रतिशत शिक्षित करने का। उसके बाद उनमें इतनी सहनशीलता, कर्तव्य परायणता है कि अपने सहयोग से वो खुद बिहार को विकास के पथ पर आगे ले जाएगी।  


हमारी किस्मत जाग गई है क्योंकि हमारे बीच हमारी ही मिट्टी से उपजें एक सच्चा, सहृदयी, परोपकारी, सेवा, भावना से ओत-प्रोत, गरीबों का देवता, औरतों का पथ प्रदर्शक, स्वाभिमान का धनी, भ्रष्टाचारियों का दुश्मन धैर्यवान, नीतिवान, चरित्रवान, ईमानदार, व्यक्ति के रूप में माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का भरपुर सहयोग मिल रहा है। हमें जरूरत है उस सदाचारी के द्वारा बिहार के विकास के लिए किए जा रहे भागीरथी प्रयास में उनकी सहायता करना। उनका विकास के लिए किया जा रहा प्रयास सराहनीय, समर्थनीय एवं नमनीय है।  


बिहार का विकास होगा, यह फिर से अपने गौरव को प्राप्त करेगा। जड़ की शक्ति से नहीं, चेतना की शक्ति से। मैं मानों अपनी अंतरआत्मा की दृष्टि से देख रहा हॅ हमारा बिहार जाग उठा है और अंत में.................  


जय श्रमिक, जय किसान, जय नौजवान।

ब्लौग की दुनिया में आप सब को सादर नमन.....

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